एक किताब जो लखनऊ के बारे में जिज्ञासा भी जगाती है और मार्गदर्शन भी करती है ‘लखनऊ-ए सिटी ऑफ कल्चर एंड हेरिटेज’ का लोकार्पण रंगराग संवाददाता लखनऊ। इधर काफी टेबिल बुक का चलन बढ़ा है। कई तरह की किताबें आई हैं जो कला, संस्कृति, पर्यटन, खानपान सहित विभिन्न विषयों का अभिलेखीकरण करती हैं। ऐसी किताबों के बीच पिछले दिनों आई वास्तुकार और इंटैक से जुड़ीं विपुल बी वार्ष्णेय और छायाकार आजेश जायसवाल की कॉफी टेबिल बुक ‘लखनऊ-ए सिटी ऑफ कल्चर एंड हेरिटेज’ इस मायने में खास…
Read MoreMonth: April 2017
नहीं रहे सनत कुमार चटर्जी
-भूपेन्द्र कुमार अस्थाना वरिष्ठ चित्रकार सनत कुमार चटर्जी (18 अक्टूबर 1935-11 अप्रैल 2017) नहीं रहे । वे 82 वर्ष के थे। आज शिमला में सुबह 10:30 बजे अंतिम सांस ली। उनका जन्म लखनऊ 18 अक्टूबर 1935 को हुआ था। उनके पुत्र हिम चटर्जी से पता चला कि वे काफी दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे । उनका नाम “गिनीज़ बुक आफ रिकॉर्ड ” में भी शामिल है। उन्होंने लखनऊ आर्ट कॉलेज से वर्ष १९६१ में ललित कला में डिप्लोमा प्राप्त किया। वे उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी एवं अन्य…
Read Moreपेंटिंग भी एक तरह का खुमार है
रंग के घर में परंपराओं के संगम से खिलते हैं फूल वरिष्ठ चित्रकार अर्पणा कौर से देव प्रकाश चौधरी की लंबी बातचीत मशहूर कथाकार ओ हेनरी की कहानी ‘द लास्ट लीफ’ की नायिका जान्सी बुखार से तपते हुए बिस्तर पर लेटे-लेटे खिड़की से सदाबहार की उस बेल को निहारती रहती थी, जिसके पत्ते बड़ी तेजी से गिर रहे थे। वह खुद से बुदबुदाती रहती थी-“जिस वक्त इस बेल की आखिरी पत्ती गिरेगी, मैं भी चली जाऊंगी। ” जान्सी उन पत्तों के साथ अपनी जिंदगी को जोड़कर सोचती थी कि जिस…
Read Moreअंतिम श्वांस तक कला में काम करते रहे नन्द किशोर खन्ना
ललित कला अकादमी में कलाकारों ने दी श्रद्धांजलि अपने जीवन को अंतिम श्वांस तक कला के क्षेत्र में लगा देने में ही एक कलाकार अपने जीवन की सार्थकता समझता है । रचनाधर्मी बनकर कला रचता है,उसके जरिए समाज को बदलने की भी क्षमता रखता है। तभी तो उसके साकार रूप में न रहने पर दुनिया उसे वर्षों वर्ष तक भूल नहीं पाती। उसकी कलायात्रा किसी न किसी रूप में लोगों के सामने आती रहती है। उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ चित्रकार एवं कला समीक्षक नन्द किशोर खन्ना भी अंतिम श्वांस तक…
Read Moreकलाकार राजनीति में डूबता नहीं, उबारता है- श्याम शर्मा
वरिष्ठ छापा कलाकार श्याम शर्मा कहते हैं कि कलाकार किसी भी युग का हो वह माध्यम की खोज करता रहता है।इस आधार पर तकनीकी और माध्यम के दृष्टि से भारतीय छापा चित्र कला न केवल पुरातन मान्यताओं का अवलोकन है बल्कि संयोजन का एक नया और मौलिक स्वरुप है। यह सौंदर्य के स्तरों को दर्शाती है लेकिन कला के दूसरे माध्यमों की तुलना में छापा कला को लेकर समाज में जागरूकता की कमी है। इसके कई कारण है जैसे आर्थिक , सामाजिक आदि।जागरूकता की कमी से ही छापा कला हाशिये…
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